राह
अंजान इस खेल में, तुझसे हथेलियों के मेल में, मैंने अपनी ज़िंदगी की राह मोड़ ली, जब तेरी किस्मत की रेखा से, मैंने अपनी तक़दीर की लकीर जोड़ ली।
अंजान इस खेल में, तुझसे हथेलियों के मेल में, मैंने अपनी ज़िंदगी की राह मोड़ ली, जब तेरी किस्मत की रेखा से, मैंने अपनी तक़दीर की लकीर जोड़ ली।
लोग तो पीते हैं जाम शराब के, ग़म भुलाने के लिए पीना, होते हैं तरीके कुछ जनाब के, खुशगवार मौकों पर पीते हैं जो वो रखते हैं शौक़ नवाब के, पर हम तो उन्में से हैं जो आँसू पी कर नशा करते हैं, के ख़ुदा भी गवाह रहे, के कोई …
तुम्हारी पलकों पे हमने अपनी नींदों को रखा है, हमारे दिल की हर धड़कन तुम्हारी सदा है, तुम्हारे बिन जीना हमारे लिए सज़ा है, ये दिल तुम पे, सिर्फ तुम पे फिदा है।